हिया हहरत बाटे जिया छछनत बाटे
खोजे सगरो चांद के चकोर
भटकेलें वने वने प्रभु श्रीराम चन्द्र
कहाँ गइली सिया जी मोर
प्राण प्यारी सिया के इच्छा पुरावे खातिर
जंगल छान मरनी हिरण लेआवे खातिर
खुशी के छण आइल, हाथे जब हिरण आइल
नाही दिखस धनिया अब मोर
भटकेलें वने वने प्रभु श्रीराम चन्द्र
कहाँ गइली सिया जी मोर.
पुछेले दौरी दौरी गाछ वृच्छ फूल से
लहु लुहान पांव होई गइल शूल से
आस भरल नजरी से देखतारे डगरी से
धरती आकाश का ओर
भटकेलें वने वने प्रभु श्रीराम चन्द्र
कहाँ गइली सिया जी मोर
- अभिषेक भोजपुरिया
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