Tuesday 13 September 2011

भोजपुरी लोक गीतन में जन्मोत्सव

भोजपुरी माटी के खुशबु भोजपुरी लोक गितन में पिरो-पिरो के भरल रहेला ! एकर रस-गन्ध मन के मोह लेला ! भोजपुरिया संस्कार के झलक भी भोजपुरी लोक गितन के माध्यम से देखे आ सुने के मिलेला ! हमनी के भोजपुरिया समाज में आम आदमी के दिल के अवाज़ जब स्वरबध हो के ओठ पर फुटेला त उ एगो गीत के रूप लेला ! जवना के लोक गीत कह के सम्बोधन कइल जाला !
हामरा ख्याल से लक गीत के जनम आदमी के जनम के साथहीं हो गइल रहे ! काहे कि आदमी जब काफि खुश भा गम मे होला त ओकरा मुह से दिल के आवाज़ निकलेला ! आ ई सब ओहु घरी होत होई ! ई अलग बात बा कि ओह घरी के गीत लिखित रूप में उप्लब्ध बहुत कम बा ! काहे कि ओह घरी लोग गा त देत रहे बाकिर लिख ना पावत रहे !
          भोजपुरी लोक गितन में कइगो विभेद होला ! एमे फगुआ, चइता, बारहमासा, संस्कार गीत, श्रम गीत आदि बाटे !
हम एजग चर्चा करब भोजपुरी लोक गितन मे जन्मोत्सव के ! संस्कार गितन के अनेक तरे के गीत आवेला जवना मे जन्मोत्सव भी आवेला !
          जन्मोत्सव के मतलब होला पुत्र जनम के अवसर पर जवन उत्सव मानावल जाला ! पुत्र जनम के अवसर पर माई-बाप के साथे-साथे पुरा परिवार के खुशि देखल बनेला ! एह अवसर पर कई तरह के कर्यक्रम के करे ला लोग !  
          हम एजग जन्मोत्सव के समय गावे वाला गीत आ भोजपुरिया आ भोजपुरिया लोगन मे कवना तरे जन्मोत्सव मानावल जाला ! एमे पहिला स्थान आवेला – सोहर के !
सोहर – पुत्र जनम के अवसर पर गावे वाला गितन के सोहर कहल जाला सोहिला अथवा मंगल गीत के अभियान एही गीत से होला ! पुत्र जनम के अवसर पर एह गीत के गावल जाला ! कहल गईल बा -  
बाजेला आनन्द बाधाव, महल उठे सोहर हो !
एकरा सम्बन्ध मे तुलसी दास जी भी रामचरित मानस मे लिखले बानी -
                                                          गावहीं मंगल मंजु बानी,
सुनी कलख कल ले लाजानी !



पुत्र जनम ना भईला से माहतारी द्रवित भाव से कहेली –
जईसे बन के कोईलिया बने-बने कुहुके ले हो,
ए रामा ओइसे जियरा हामार कुहुकेला एगो बालक बिनू हो!
सोहर के प्रधान विषय प्रेम ह ! एह में स्त्री के पुरुष से रति क्रिया, गर्भाधान, प्रसव पिरा, दाई के बोलावल आ पुत्र जनम के गीत गावल जाला ! एगो सोहर गीत मे कहल बा –
कपरा त हमरो टनकेला, ओदरा चिलकेला ए,
राजा दुनिया भईले अनसुन कवन कहीं कुसल ए  
     सोहर के बाद आवेला खेलावना गीत के ! ई गीत भी सोहर के समान पुत्र जनम के सुखद अवसर पर गावल जाला ! परंतु सोहर से एमे कुछ भिन्नता होला ! सोहर मे विशेष करके पुत्र जनम के पुर्व पीठिका के वर्णन रहेला ! बाकिर खेलावना गितन मे उत्तर पीठिका के वर्णन रहेला ! एहमे औरत हुलास मे बहुत कुछ मांगेली ! एगो गीत मे कहल बा -
जाहु तोरा ए भउजी होरिला होइहें,
तबे आइब तोरा अंगनवा !
कांठा भी लेबो, टीका भी लेबो,
लेबो सब सोना के गहनवा !
हालांकि ई दुर्भाग्य काहाई कि हमनी के समाज में खाली पुत्र जनम पर ही बाधावा बाजेला गीत मंगल होला सोहर होला बेटी के जनम पर ना !
भोजपुरिया समाज मे एगो अउर प्रचलन बा कि जब नाया दुलहिन के पहिला बेरा बेटा होला त दुलहिन के नईहर से पवरिया भेजल जाला ! उ पवरिया जब बेटी के ससुरल मे पहुचे लें त अपना एगो टीम के साथे ! ओमे एक जन औरत के रूप धारन कर लेलन आ बाकि लोग एगो गोल बानाके ढोलक झाल के साथे बाजावे गावे आ नाचे ला लोग ! गा-गा के फुआ, चाचा-चाची, दादा-दादी, सबका से अपना गीत के माध्यम से कुछ ना कुछ मंगेला लोग ! उ लोग लरिका के गोदी मे ले के खुब नाचेला लोग आ लरिका के राम जी घोषित करके घुम-घुम के गावे ला लोग -
कहवा में राम जी के जनम भयो हरि झुमरी,
अब कहवा मे बाजेला बधाव खेलब हरी झुमरी !
           आ एह खुशी के मोका पर पुरा घर परिवार, टोला मोहाला आ खुशि मे सरिक होला ! पवरिया लोग के लरिका के माई-बाबुजी दादी, चाची कुछ ना कुछ देला !
एहिंग अपना टोला मोहला के भी औरत लोग जुट जाली आ एगो गोल बाना के खुब मस्ती मे झुम-झुमके गावेली, बाजावेली आ नाचेली ! एगो गीत के बानगी देखीं-
धन-धन भग सोहावन, लिहल जनमवा नु हो,
ए बबुआ लाल भाईलें कुलवा के दीपक महलिया उठे सोहर हो !
          एह तरह से हमनी के भोजपुरिया समाज मे भोजपुरी लोक गितन के माध्यम से जन्मोत्सव के प्रचलन बा ! आ ई बरी धूम धाम से मानावल जाला !

No comments:

Post a Comment