Friday 23 September 2011

कवना बात के सजा दिहल जा रहल बा माई-बाप के

माता पिता के अवहेलना कतई जाएज नईखे, ई बात पता ना आज के संतान काहे नइखे समझ पावत ! काल्ह हम अखबार मे पढनी कि कोर्ट के फैसला आइल ह कि माता-पिता के अगर अवहेलना भइल त सजाय होई ! ई त सुने मे बढिया लागल बाकिर एपर केतना अमल होई ई देखे वाला बात होई !
केतना अफसोस के बात बा कि जवना देश मे श्रवन कुमार जईसन पुत्र होत रहल ओही देश मे अब अइसनो बेटा – बेटी हो रहल बा जवन अपना माई-बाप के घर से निकाल बाहर करत बा दर-दर के ठोकर खाए खातिर ! हम पटना मे रहिले आ पटना के गाधी मैदान के चारो ओर भा स्टेशन के पास भा रोड पर अईसन हाल मे देखे के मिलत बा लोग कि खुद के भी शर्मिन्दा महसुश करे के परत बा ! जे आखिर एह लोग के का गलती बा ! ओमे केहू के बेटा मैनेजर बा त केहू के बेटा इंजिनियर बा ! सब लोग कही ना कही सेट बा !
अगर एह हाल खातिर गरिबि जिम्मेवार रहित त कुछ सोचल जा सकत रल ! लेकिन एतनो ना कि ओह माई-बाप के घर से निकाल देहल जाव ! काहे कि घर मे अगर बेटा बेटी के खाए के, रहे के घर बा माई बाप खातिर ना !
हालांकि बहुत हद तक पतोह लोग के भी हाथ रहेला ! माई-बाप के घर से निकाले मे ! उ लोग अपना ससुर आ सास के बुढा भईला पर कुछो ना समझेला आ जब ना तब ओकरा के उल्टा सिधा बोल के झरहेटत रहेला लोग ! उ सास- ससुर जतना हद तक सहे लायेक होला सहेला लोग आ ना त आपन इज्जत गुने आपन घर दुआर छोड़ द्स जाये पर विवश हो जाला लोग !
सोचे वाला बात ई होला कि एह परिस्थिति मे बेटा भी अपना माई-बाप के साथ ना दे के अपना मेहरारु के ही साथ देला लोग ! उ लोग भुला जाला कि इहे माई- बाप बचपन से पाल पोल के बाड़ा कईल जे अंगुरी पकर के चले के सिखवलस ओकरा के आज 1 टाईम के खाना तक खिला सकत ? उहे माई – बाप जे बचपन मे जब उ जाहा ताहा भागल फिरस त पीछा-पीछा घुम-घुम के खियावे लोग ! आज उहे बेटा अपना पत्नि के कहल मे रहत बा लोग आ माई-बाप के दुत्कार देत बा लोग ! पतोह लोग ई भुला जात बा कि उहो लोग कहियो बुढा होई ! आ ओहु लोग के बेटा पतोह घर से निकले पर मजबूर कर सकत बा !

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