Wednesday 14 September 2011

भोजपुरी के एगो अनमोल हीरा के निधन

जो दर्द को ढालते रहे नगमो में,
सोज को साज में बदलते रहे,
दात दे उनको ये गमे दिनिया-
जो ज़ख्म खा के भी फूल उगलते रहे !
     गर्दिश के गांव में, पीड़ा के छांव मे, उदास सपनन के सोन जुही जो न हंस के जी सकलन ना रो के मर सकलन अईसने रंगीन हसीन आ गमगीन व्यक्तित्व के नाम रल पन्डित गणेश दत्त किरण ! उहां के भोजपुरी जगत के एगो अईसन चमकत सितारा रनी ह, जवन अन्धरिया भा अंजोरिया दुनो मे दुरे से चमकत रनी हं ! आज उ सितारा हमनी के बिच से जुदा हो गईल ! उहां के म्रित्यु से भोजपुरी साहित्य आ भोजपुरिया समाज के अपूर्णीय क्षति भईल बा !
     पंडित गणेश दत्त किरण जी के हम एह से जानत बानी कि उहां के हामरा बाबुजी प्रो0 वैद्यनाथ विभाकर जी के काफी करीब रहीं ! आ दोसर कारण ई बा कि हम भोजपुरी से जब अनार्स करत रहीं त उहां के किताब पढे के रहे ! तब से उहां के बारे मे जाने के मोका मिलल ! पंडित गणेश दत्त किरण जी भोजपुरी जगत के कलम के बल पर जवन आपन पहचान बनवलीं जवन उंच्चाई पवनीं ओह उंच्चाई पर पहुंचे खातिर बहुत मेहनत आ अपना जीवन में काफि संघर्ष भी कईलीं !
     उहां के देश आ विदेश दुनो जगहा भोजपुरी के परचम लहरवले बानीं ! उहां के भोजपुरी जगत के सबसे बरहन गायक भरत शर्मा व्यास जी के अपना गितन के माध्यम से एगो उच्चा मुकम दिलईनीं !
उहां के कईगो किताब के भी रचना कईनीं ! जवना में 'रावण उवाच' 'सति के श्राप' आदि बाटे ! जवना के हमरा पढे के मोका मिलल बा ! उहां के एक-एक गो किताब सहित्य के गहिराई के छुवले बा ! हर विद्या में उहां के माहिर रनी हं ! हम अपना तरफ से आ अपना भोजपुरी भारती संस्था के तरफ से दुआ करब कि भगवान उहां के आत्मा के शांति दीं ! अउर उहां के बारे मे इहे कहब –
बड़े गौर से सुनता था जमाना जिसको,
आज वही सो गये दास्ता कहते-कहते !    

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