Friday 2 September 2011

प्रोत्साहन के जरुरी बा !

              शिक्षा मे प्रतिद्वन्दी बनल बढिया बात ह ! बाकिर बाकिर आपन प्रतिद्वन्दी जब आपना से पढे मे आगे निकल जाव त ओकरा के आपन पाराजय ना मान लेवे के चाहीं ! एक या दू सेमेस्टर में कम अंक अइला के मतलब ई ना भईल कि जिनगी से हार के आत्म हात्या कर लेहल जाव ! हामार कहनाम बा कि-
                                  मुश्किलें दिल के इरादों को आजमाती है,
                                  स्वप्न के परदों को निगाहों से हाताती है,
                                  हौसला मत हार गिर के ओ मुशाफिर -
                                  ठोकरें इंसान को चलना सिखाती है !

        आज हम सुबह उठनी ह, त आखबार मे पढनी ह कि इंजिनियरिंग के एगो छात्रा छ: मंजिल से कुद के जान दे देले बारी ! ई सही बात ना बा ! हामारा पाटना मे अइसन कईगो केस हो गईल ! हम सुझाव देम मा बाप के भी अपना संतान खातिर अपना मन मे से अगर कवनो नाकारात्मक विचार बा पाढाई खातिर उ निकाल के अपना लईकन के प्रोत्साहन देव !

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